शंकरलाल का दर्द: घर से बाहर क्यों निकाल दिया गया?
शंकरलाल, जो पहले रेलवे कर्मचारी था और अब रिटायर हो चुका है, का कहना है कि पिछले सात महीनों से उसे अपने ही घर में जगह नहीं मिल रही। शंकरलाल ने बताया कि उसका भाई और परिवार के अन्य सदस्य उसे लगातार धमकी दे रहे थे और मानसिक उत्पीड़न का शिकार बना रहे थे। शंकरलाल के अनुसार, उसे घर से बाहर निकालने के बाद सर्दियों की ठंड में खुले आसमान के नीचे सोने के लिए मजबूर किया गया।

उनके अनुसार, उनका भाई और अन्य परिवार के सदस्य उन्हें संपत्ति से बाहर करने के लिए दबाव बना रहे थे। इसने शंकरलाल को सड़कों पर जीवन जीने के लिए मजबूर किया, जबकि उसके पास एक पेंशन थी, लेकिन वह भी पर्याप्त नहीं थी।
परिवारिक विवाद: मकान को लेकर तनातनी
शंकरलाल का आरोप है कि उसके भाई ने घर की संपत्ति को हड़प लिया है और उसे मानसिक शोषण का शिकार बना दिया। शंकरलाल ने यह भी दावा किया कि उसके भाई ने झूठा प्रमाणपत्र बनवाकर उसे पागल घोषित कर दिया, जिससे वह अपने घर में वापस नहीं आ सका। इसके बाद, शंकरलाल को मजबूरन सड़कों पर रात बितानी पड़ी और कई बार खाने के लिए भी उसे दूसरों से मदद लेनी पड़ी।
शंकरलाल का कहना: “मैंने कई बार पुलिस से मदद मांगी, लेकिन कोई परिणाम नहीं आया।”
शंकरलाल ने यह भी बताया कि उसने कई बार पुलिस से शिकायत की और पुलिस से मदद की गुहार लगाई, लेकिन स्थिति में कोई बदलाव नहीं आया। उसने कहा, “मैंने एसपी साहब से भी शिकायत की, लेकिन उनके द्वारा कोई ठोस कदम नहीं उठाए गए। पुलिस अधिकारियों ने मुझे यह कहकर छोड़ दिया कि यह पारिवारिक मामला है, हमें इसमें दखल नहीं देना चाहिए।”
क्या कहता है दूसरा पक्ष?
शंकरलाल के भाई का कहना है कि शंकरलाल मानसिक रूप से स्थिर नहीं हैं और यह पूरी स्थिति उनके मानसिक विकारों के कारण उत्पन्न हुई है। उनका कहना है कि शंकरलाल को पागल घोषित करने का निर्णय परिवार ने उनके भले के लिए लिया था ताकि वह मानसिक रूप से ठीक हो सकें। भाई ने यह भी दावा किया कि शंकरलाल का आरोप गलत है, और उन्होंने कभी भी किसी संपत्ति पर कब्जा नहीं किया।
वहीं, पड़ोसियों का कहना है कि शंकरलाल को हर संभव मदद दी गई, और उन्होंने देखा है कि शंकरलाल की हालत वाकई में गंभीर है। वे बताते हैं कि शंकरलाल का व्यवहार समय-समय पर अनियमित होता है, और उसे इलाज की आवश्यकता है।
शंकरलाल के लिए प्रशासन से मदद की अपील
शंकरलाल और उनके परिवार की यह दुखद कहानी केवल एक परिवार का नहीं, बल्कि समाज में बढ़ते परिवारिक तनाव और मानसिक स्वास्थ्य समस्याओं का प्रतीक बन चुकी है। शंकरलाल की हालत देखकर आसपास के लोग भी चिंतित हैं। वे प्रशासन से यह अपील कर रहे हैं कि इस मामले की गंभीरता को समझते हुए त्वरित कार्रवाई की जाए और शंकरलाल को उचित सहायता और इलाज मिल सके।
निष्कर्ष
यह मामला बीकानेर में एक रिटायर रेलवे कर्मचारी के दुखों और परिवारिक संघर्षों की भयावह तस्वीर पेश करता है। शंकरलाल की हालत से यह साफ है कि मानसिक स्वास्थ्य और परिवारिक विवादों को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। प्रशासन से यह उम्मीद जताई जाती है कि वे इस मामले में उचित कार्रवाई करें और शंकरलाल को उसके अधिकार दिलाने के लिए कोई ठोस कदम उठाएं।

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