बीकानेर: देश में बढ़ते सीमा तनाव और संभावित हमलों की आशंका के बीच बीकानेर पुलिस प्रशासन पूरी सतर्कता बरत रहा है। पाकिस्तान सीमा के नजदीक स्थित बीकानेर जिले में मॉक ड्रिल का आयोजन किया गया, जिसका मकसद आम नागरिकों और सुरक्षा बलों को संभावित हवाई हमलों के दौरान कैसे प्रतिक्रिया करनी है, इसकी जानकारी देना था।

क्यों की गई मॉक ड्रिल?
हाल ही में भारत-पाक सीमा पर तनाव बढ़ने के बाद और आतंकवादी गतिविधियों की संभावना को देखते हुए सरकार और सुरक्षा एजेंसियों ने अलर्ट जारी किया है। खासकर पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद देशभर में सतर्कता बढ़ा दी गई है। बीकानेर, जो कि सीमावर्ती क्षेत्र में स्थित है, वहां पर ऐसी आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए यह मॉक ड्रिल आयोजित की गई।
मॉक ड्रिल का स्थान और समय
यह मॉक ड्रिल बीकानेर जिले के नाल थाना क्षेत्र में दिनांक को दोपहर 4:30 बजे के आसपास की गई। मॉक ड्रिल को इस तरह से आयोजित किया गया कि मानो वास्तव में एयर अटैक हुआ हो। लोगों को दिखाया गया कि ऐसे हालात में किस तरह की आपात प्रतिक्रिया देनी चाहिए।
मॉक ड्रिल में क्या-क्या हुआ?
- ड्रिल के दौरान जोरदार सायरन बजाया गया, जिससे लोगों को चेतावनी दी गई कि कोई आपदा या हमला हुआ है।
- फिर दिखाया गया कि हवाई हमला हुआ है और कई लोग घायल हो गए हैं।
- मौके पर मौजूद पुलिसकर्मियों और आम लोगों ने मिलकर घायलों को बचाने का प्रयास किया।
- प्राथमिक चिकित्सा, ब्लड लॉस कंट्रोल और सुरक्षित स्थान पर ले जाने की ट्रेनिंग जैसी गतिविधियां दिखाई गईं।
- लोगों को यह भी समझाया गया कि यदि ऐसी स्थिति वास्तव में उत्पन्न होती है तो उन्हें क्या करना चाहिए और कैसे बचाव करना है।
ब्लैकआउट का अभ्यास भी हुआ
इस मॉक ड्रिल का एक हिस्सा ब्लैकआउट की तैयारी भी था। शाम 8 बजे से 8:30 बजे तक बीकानेर और आस-पास के क्षेत्रों में लाइटें पूरी तरह बंद रखी गईं।
लोगों को समझाया गया कि:
- जब भी सायरन बजे, तत्काल घर की सभी लाइटें बंद कर दें।
- खिड़कियों पर पर्दे डाल दें, ताकि अंदर से रोशनी बाहर न जाए।
- किसी भी हालत में मोमबत्ती, दीया या आग का कोई स्रोत बाहर न जलाएं।
- यह पूरी प्रक्रिया दुश्मन को निशाना न बनाने देने और अपने स्थान को छिपाने के लिए आवश्यक है।
जनता की भागीदारी और प्रशासन की तैयारी
ड्रिल में स्थानीय नागरिकों, पुलिस बल और प्रशासनिक अधिकारियों की भागीदारी रही। मॉक ड्रिल के ज़रिए यह भी संदेश दिया गया कि जनता और प्रशासन के आपसी सहयोग से ही बड़ी आपदा से निपटा जा सकता है।
जनता को क्या संदेश मिला?
यह मॉक ड्रिल केवल एक सुरक्षा अभ्यास नहीं था, बल्कि जनजागरूकता अभियान भी था। इससे लोगों को यह समझ आया कि युद्ध जैसी स्थिति में उन्हें घबराने के बजाय समझदारी और संयम के साथ कैसे कदम उठाने हैं।
निष्कर्ष
बीकानेर जैसे सीमावर्ती शहरों में मॉक ड्रिल का आयोजन इस बात का संकेत है कि सरकार और प्रशासन पूरी तरह सतर्क है और आम नागरिकों को भी आपातकालीन स्थिति में सक्रिय भूमिका निभाने के लिए तैयार किया जा रहा है। ऐसी ड्रिल्स न केवल नागरिकों में विश्वास पैदा करती हैं, बल्कि प्रशासन की तैयारी को भी मजबूत करती हैं।
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