बीकानेर, राजस्थान। शहर के जूनागढ़ क्षेत्र में एक दर्दनाक घटना सामने आई है, जहां एक आवारा गाय ने सड़क पर चलते पिता-पुत्री और एक युवक पर अचानक हमला कर दिया। इस हमले में तीन लोग घायल हो गए और घटना का सीसीटीवी फुटेज सोशल मीडिया पर तेज़ी से वायरल हो रहा है।

घटना का विवरण: बाजार जाते समय हुआ हमला
घटना सोमवार की दोपहर की है जब हरकृष्ण नामक व्यक्ति अपनी छोटी बच्ची को मोटरसाइकिल पर बैठाकर बाजार की ओर जा रहे थे। अचानक पीछे से एक गाय ने उन पर हमला कर दिया, जिससे वे बाइक से गिर पड़े। गिरने के बाद गाय ने बच्ची की ओर बढ़ना शुरू किया। हरकृष्ण ने पूरी कोशिश की कि किसी तरह अपनी बेटी को बचा सकें।
इस बीच, एक युवक विजेंद्र सिंह बिदावत ने बीच में आकर बच्ची को बचाने का प्रयास किया, लेकिन गाय ने उस पर भी हमला कर दिया। विजेंद्र को हाथ, पैर और चेहरे पर गंभीर चोटें आईं। उन्होंने बताया कि “इंसानियत के नाते मैं बीच में कूदा, लेकिन खुद भी चपेट में आ गया।”
स्थानीय लोगों ने दिखाई बहादुरी, लेकिन गाय नहीं रुकी
स्थानीय लोगों ने पत्थर और लकड़ी से गाय को भगाने की कोशिश की, लेकिन गुस्से में भरी गाय पर इसका कोई असर नहीं हुआ। घटना स्थल पर मौजूद कुछ लोग वीडियो बना रहे थे, जबकि कुछ ने बचाव की कोशिश की। गनीमत रही कि किसी की जान नहीं गई, लेकिन तीनों घायलों को चिकित्सा सहायता की ज़रूरत पड़ी।
प्रशासन पर उठे सवाल: आवारा पशु क्यों नहीं हो रहे नियंत्रित?
घटना के बाद स्थानीय लोगों में रोष है। उनका कहना है कि बीकानेर में रोज़ाना ऐसे 5-6 मामले होते हैं जहां आवारा पशु लोगों पर हमला कर देते हैं। “हर जगह गाय, कुत्ते, बछड़े घूमते मिलते हैं, लेकिन प्रशासन आंख मूंदे बैठा है,” एक स्थानीय निवासी ने कहा।
नगर निगम पर यह भी आरोप है कि गौशाला होने के बावजूद आवारा पशु सड़कों पर घूम रहे हैं। लोगों का आरोप है कि पशु मालिक अपनी गायों को गौशाला से छुड़वा कर फिर से शहर में छोड़ देते हैं।
गायों के साथ-साथ कुत्तों का भी आतंक
यह केवल गायों की समस्या नहीं है। स्थानीय निवासियों के अनुसार, बीकानेर में आवारा कुत्तों का आतंक भी बढ़ता जा रहा है। हाल ही में एक बच्चे को कुत्ते ने नोच लिया था और कई लोग घायल हो चुके हैं। “नगर निगम और जिला प्रशासन को चाहिए कि वह आवारा पशुओं को नियंत्रित करने के लिए सख्त कदम उठाए,” एक अन्य पीड़ित ने कहा।
स्थानीय विधायक और अधिकारियों की चुप्पी पर नाराजगी
लोगों ने आरोप लगाया कि स्थानीय विधायक और प्रशासनिक अधिकारी इस गंभीर मुद्दे पर चुप हैं। “हमने दो बार ज्ञापन भी सौंपे हैं लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई,” एक सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया। नालों की हालत खराब है, गंदगी फैली है और खुले मैनहोल व नालों में भी दुर्घटनाएं हो चुकी हैं।
समाधान की आवश्यकता: आवारा पशुओं की पहचान और नियंत्रण जरूरी
जनता की मांग है कि:

- आवारा पशुओं की पहचान कर उन्हें शहर से बाहर भेजा जाए।
- पशु मालिकों को टैग सिस्टम से जोड़ा जाए ताकि जिम्मेदारी तय हो सके।
- गौशालाओं की निगरानी की जाए और पुनर्वास की व्यवस्था हो।
- नगर निगम और जिला प्रशासन नियमित निगरानी करे।
निष्कर्ष: हादसों से पहले हो जागरूकता और कार्रवाई
बीकानेर में आवारा पशुओं का यह कोई पहला मामला नहीं है। हालात इस कदर बिगड़ चुके हैं कि अब आमजन खुद को असुरक्षित महसूस कर रहे हैं। यदि समय रहते प्रशासन ने उचित कदम नहीं उठाए, तो यह समस्या और भी गंभीर रूप ले सकती है।
इस घटना से सबक लेते हुए नागरिकों और प्रशासन दोनों को मिलकर काम करने की जरूरत है ताकि शहर में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों।
झलको राजस्थान आपसे अपील करता है कि यदि आपके आसपास भी ऐसी कोई घटना हो रही है या आपने कुछ देखा है, तो नीचे दिए गए नंबर पर संपर्क करें। हम आपकी बात को आवाज देंगे।
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