19 मार्च की रात बीकानेर जिले में हुए दर्दनाक सड़क हादसे को 25 दिन बीत चुके हैं, लेकिन पीड़ित परिवारों को अब तक न तो न्याय मिला है और न ही सरकार की तरफ से कोई ठोस सहायता। छह लोगों की दर्दनाक मौत के बाद अब पूरा सेन समाज और 36 कौम के लोग सड़कों पर उतर आए हैं। न्याय और मुआवजे की मांग को लेकर जिला कलेक्टर कार्यालय के सामने अनिश्चितकालीन धरना शुरू किया गया है।

हादसे का कारण: पुल की तकनीकी खामी और प्रशासन की लापरवाही
19 मार्च की रात नोखा से लौट रही बारात की गाड़ी पर एक भारी ट्रक गिर गया। यह हादसा बीकानेर के एक ऐसे पुल पर हुआ, जिसे लेकर पहले भी कई शिकायतें मिल चुकी थीं। स्थानीय लोगों और अखबारों में पहले से यह प्रकाशित था कि पुल में गंभीर तकनीकी खामियां हैं। उसी के चलते यह दर्दनाक दुर्घटना हुई, जिसमें छह लोगों की जान चली गई।
पीड़ित परिवारों की हालत बेहद गंभीर
हादसे में जिन परिवारों ने अपने सदस्य खोए, वे आज भी सदमे में हैं। कई परिवारों में बुजुर्ग मां-बाप हैं, जिनकी आंखें अपने बच्चों को न्याय दिलाने की उम्मीद में तरस रही हैं। कुछ घरों में मानसिक रूप से कमजोर बच्चे हैं, तो कहीं बेटियां शादी की उम्र में हैं। इन परिवारों की स्थिति बेहद दयनीय हो चुकी है।
सेन समाज और 36 कौम की दो प्रमुख मांगें
धरने पर बैठे समाज के नेताओं ने दो प्रमुख मांगें रखी हैं:
- प्रत्येक मृतक परिवार को ₹50 लाख का मुआवजा।
- प्रत्येक परिवार के एक सदस्य को संविदा पर सरकारी नौकरी।
समाज के नेताओं का कहना है कि यह कोई बड़ी या असंभव मांग नहीं है। इस प्रकार की सहायता पहले भी सरकारें प्रदान कर चुकी हैं।
सरकार की चुप्पी पर सवाल
पूर्व कला बोर्ड अध्यक्ष महेंद्र गहलोत ने धरने में भाग लेते हुए सरकार के रवैये को संवेदनहीन बताया। उन्होंने कहा, “अगर यह हादसा हमारी सरकार के समय होता, तो कुछ ही घंटों में मुआवजा और सहायता की घोषणा हो जाती। कन्हैयालाल की घटना पर तत्काल ₹50 लाख की सहायता दी गई थी और नौकरी भी मिली थी।”
उन्होंने साफ किया कि यह कोई राजनीतिक आंदोलन नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय की लड़ाई है।
प्रशासन की निष्क्रियता
धरने के दौरान प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठाए गए। गहलोत ने बताया कि 20 मार्च को ही ज्ञापन दे दिया गया था और कलेक्टर ने एक तकनीकी जांच कमेटी भी गठित की थी। परंतु इतने दिनों में कोई ठोस निर्णय या सहायता नहीं पहुंचाई गई।
उनका कहना है, “जब प्रशासन पहले ही मौके पर पहुंच गया था, तो हमने सोचा कि ये लोग न्याय दिलाएंगे, लेकिन हम धोखा खा गए।”

संघर्ष जारी रहेगा
धरने में भाग लेने वाले लोगों का कहना है कि अब यह आरपार की लड़ाई है। “हम टकराएंगे, हम लड़ेंगे। चाहे हमें जेल जाना पड़े, पुलिस की लाठी खानी पड़े, लेकिन हम पीछे नहीं हटेंगे।”
महेंद्र गहलोत ने कहा कि अगर सरकार अब भी नहीं चेती, तो यह आंदोलन बीकानेर तक सीमित नहीं रहेगा, बल्कि पूरे राजस्थान में फैलेगा।
मीडिया की भूमिका और जनता से अपील
झलको राजस्थान के संवाददाता द्वारा मौके पर पहुंचकर की गई बातचीत में समाज के लोगों की भावनाएं और आक्रोश स्पष्ट रूप से सामने आए। वीडियो को देखने वाले लोगों से अपील की गई है कि वे इस आंदोलन के समर्थन में अपनी राय कमेंट्स के माध्यम से दें और वीडियो को अधिक से अधिक शेयर करें।
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