बीकानेर की गोल्डन दादी पाना देवी ने अपनी उम्र को कभी भी बाधा नहीं बनने दिया। 93 साल की उम्र में भी वह युवाओं के लिए प्रेरणा बनी हुई हैं। हाल ही में उन्होंने तीन गोल्ड मेडल जीतकर अपने खेल कौशल का लोहा मनवाया और अब वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रही हैं।

लगातार जीत रही हैं मेडल, अब इंडोनेशिया में दिखाएंगी दम
पिछले कई वर्षों से पाना देवी विभिन्न खेल प्रतियोगिताओं में भाग ले रही हैं और लगातार पदक जीत रही हैं। उन्होंने 4th मास्टर नेशनल एथलेटिक चैंपियनशिप, बेंगलुरु में 100 मीटर स्प्रिंट और गोला फेंक स्पर्धा में शानदार प्रदर्शन किया।
अब उनका अगला लक्ष्य एशियन चैंपियनशिप, इंडोनेशिया में पदक जीतकर भारत का नाम रोशन करना है।
दादी का संघर्ष और मेहनत
पाना देवी का सफर आसान नहीं रहा, लेकिन उनके हौसले ने उन्हें हर मुश्किल से उबारा। उन्होंने बिना किसी संसाधन के कठिन अभ्यास किया और बीकानेर के गौरव के रूप में उभरीं।
उन्होंने बताया कि संतुलित खानपान और सकारात्मक सोच उनकी ऊर्जा का राज है। उनका कहना है कि आज की युवा पीढ़ी को अपने स्वास्थ्य पर ध्यान देना चाहिए और नशे से दूर रहना चाहिए।
सरकारी मदद से अभी भी वंचित
इतनी उपलब्धियों के बावजूद, उन्हें सरकार से किसी प्रकार की आर्थिक सहायता या प्रायोजन नहीं मिला है। उनकी इच्छा है कि राज्य और केंद्र सरकारें ऐसे खिलाड़ियों को समर्थन दें ताकि वे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर सकें।
बीकानेर और राजस्थान का बढ़ाया मान
पाना देवी का मानना है कि उनकी पहचान किसी परिवार से नहीं, बल्कि बीकानेर और राजस्थान से है। वह चाहती हैं कि लोग खेलों के प्रति जागरूक हों और अपने स्वास्थ्य पर ध्यान दें। उनका मानना है कि स्वस्थ शरीर ही असली धन है।
युवा पीढ़ी के लिए संदेश
अपने जीवन के अनुभव साझा करते हुए, पाना देवी कहती हैं, ‘आज की युवा पीढ़ी को सोशल मीडिया और नशे से बचकर खेलों की ओर ध्यान देना चाहिए। शरीर को मजबूत बनाकर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है।’
नशे से दूर रहो, खेल को अपनाओ
दादी का संदेश है कि नशे से बचें, खेलों को अपनाएं और जीवन में अनुशासन लाएं। उनका मानना है कि अगर 93 साल की उम्र में वह मेडल जीत सकती हैं, तो युवा क्यों नहीं?

निष्कर्ष
पाना देवी ने न केवल बीकानेर बल्कि पूरे देश के लिए गर्व का क्षण पैदा किया है। अब उनकी नज़रें इंडोनेशिया में होने वाली एशियन चैंपियनशिप पर हैं। यदि उन्हें सही समर्थन और संसाधन मिले, तो वह वर्ल्ड चैंपियनशिप में भी भारत का नाम रोशन कर सकती हैं।