बीकानेर गैस सिलेंडर ब्लास्ट: हादसे के बाद मची अफरा-तफरी
बीकानेर के 15/50 मार्केट में हुए भीषण गैस सिलेंडर विस्फोट ने पूरे शहर को झकझोर कर रख दिया। यह हादसा इतना गंभीर था कि दो मंजिला इमारत मलबे में तब्दील हो गई, और मलबे में दबकर अब तक 9 लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है, वहीं कई अन्य गंभीर रूप से घायल हैं। बताया जा रहा है कि अभी भी 4-5 लोग मलबे में दबे हो सकते हैं, जिनकी तलाश जारी है।

हादसे के 24 घंटे बाद भी जारी रहा रेस्क्यू ऑपरेशन
हादसे के बाद प्रशासन और एसडीआरएफ की टीम ने मौके पर पहुंचकर राहत और बचाव कार्य शुरू किया। लेकिन मलबा हटाने और दबे लोगों को निकालने में 24 घंटे से ज्यादा का वक्त लग गया, जिससे स्थानीय लोगों में नाराजगी फैल गई।
प्रशासन की सुस्ती और मॉक ड्रिल को प्राथमिकता देने पर सवाल उठाए जा रहे हैं। लोगों का कहना है कि जब असली हादसे में इतनी लाचारी है, तो मॉक ड्रिल का क्या फायदा?
मॉक ड्रिल के बीच हुई असली त्रासदी
हादसे के दिन ही बीकानेर में मॉक ड्रिल भी चल रही थी, जिसका उद्देश्य युद्ध या आपदा की स्थिति में तैयारी दिखाना था। लेकिन सवाल यह उठा कि जब असली हादसा सामने था, तब प्रशासन ने मॉक ड्रिल को ज़्यादा प्राथमिकता क्यों दी?
स्थानीय लोगों ने बताया कि एसडीआरएफ की टीम को मॉक ड्रिल के लिए घटनास्थल से हटाया गया, जिससे रेस्क्यू ऑपरेशन और भी देर से शुरू हो पाया।
धरना देकर न्याय की मांग, मृतकों के परिवार ने उठाई आवाज
हादसे के अगले दिन बीकानेर के बीपीएम अस्पताल की मोर्चरी के सामने पीड़ित परिवारों और सर्व समाज के लोगों ने धरना प्रदर्शन किया। उन्होंने प्रशासन से स्पष्ट रूप से मुआवजा और न्याय की मांग की।
एक प्रदर्शनकारी ने बताया,
“हम कल सुबह 11 बजे से अस्पताल के बाहर बैठे हैं, लेकिन कोई बड़ा अधिकारी मिलने तक नहीं आया। क्या हमारी जान की कीमत नहीं है?”
मृतकों की पहचान और दर्दनाक कहानियां
हादसे में जिन लोगों की मौत हुई है, उनमें से कई प्रवासी मजदूर थे जो पश्चिम बंगाल और अन्य राज्यों से आकर बीकानेर में मेहनत मजदूरी करते थे।
एक मृतक 23 वर्षीय सचिन सोनी था, जिसकी तीन बहनें और एक छोटा भाई है। एक अन्य मृतक के छह बहनों के बीच एकमात्र भाई की मौत हो गई। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति बेहद कमजोर है।

विधायक जेठानंद भी मौके पर पहुंचे, न्यायिक जांच की मांग
बीकानेर पश्चिम के विधायक जेठानंद जी मौके पर पहुंचे और पीड़ित परिवारों से बातचीत की। उन्होंने प्रशासन से 15 लाख रुपये मुआवजा, न्यायिक जांच और घटना में लापरवाही बरतने वालों पर कार्रवाई की मांग की।
विधायक ने कहा,
“ऐसी घटनाओं में जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय होनी चाहिए। यह केवल एक हादसा नहीं, बल्कि व्यवस्थागत असफलता है।”
स्थानीय लोगों की मुख्य मांगे
प्रदर्शन कर रहे लोगों और स्थानीय समाज ने मिलकर प्रशासन के सामने निम्नलिखित मांगे रखीं:
- प्रत्येक मृतक परिवार को कम से कम ₹15 लाख का मुआवजा।
- घायलों को नि:शुल्क इलाज और आर्थिक सहायता।
- घटना की न्यायिक जांच।
- जिस व्यक्ति ने बिना परमिशन मार्केट में सिलेंडर रखा, उसके खिलाफ कार्रवाई।
- भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचाव के लिए ठोस योजना।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और निष्कर्ष
प्रशासन की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं की गई थी, जिससे जनता में गहरा आक्रोश व्याप्त है। कई लोग अब भी अस्पताल और मोर्चरी के बाहर न्याय की उम्मीद में डटे हुए हैं।
यह हादसा केवल एक विस्फोट नहीं था, बल्कि पूरे सिस्टम की संवेदनहीनता का खुला प्रदर्शन था। जब तक पीड़ित परिवारों को न्याय नहीं मिलता और दोषियों पर कार्रवाई नहीं होती, तब तक यह आक्रोश थमने वाला नहीं है।
आपकी राय जरूरी है
क्या प्रशासन ने इस हादसे से सही सबक सीखा है? क्या पीड़ितों को समय पर मदद मिल पाई?
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