बाड़मेर की ममता चौधरी: कभी बकरियां चराई, आज आसमान की ऊंचाइयों पर राज कर रही है
Jhalko Rajasthan डेस्क, बाड़मेर:
राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव से निकलकर अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की केबिन में मुस्कराती ममता चौधरी आज देश की लाखों बेटियों के लिए प्रेरणा बन चुकी हैं। कभी खेतों में बकरियां चराने वाली यह देशी छोरी अब एयर होस्टेस बनकर न केवल अपने गांव का नाम रोशन कर रही है, बल्कि यह साबित कर रही है कि मेहनत और जिद हो तो कोई सपना अधूरा नहीं रहता।

बचपन में संघर्ष, जिम्मेदारियों का बोझ
ममता चौधरी का बचपन बाकी बच्चों की तरह नहीं था। एक साधारण किसान परिवार में जन्मी ममता को बचपन से ही खेतों में काम करना पड़ा। स्कूल से लौटने के बाद बकरियों को चराने जाना और घर के कामों में मां का हाथ बंटाना उसकी दिनचर्या का हिस्सा था।
परिवार की आर्थिक स्थिति बहुत अच्छी नहीं थी, लेकिन ममता ने कभी हार नहीं मानी। गांव की सीमित सुविधाओं और समाज की सोच के बावजूद उसने अपनी पढ़ाई जारी रखी और अपने सपनों को मरने नहीं दिया।
पहली बार देखा था हवाई जहाज, तभी ठान लिया था – मुझे यहीं पहुंचना है
एक इंटरव्यू में ममता बताती हैं कि उन्होंने पहली बार जब आसमान में उड़ता हवाई जहाज देखा, तो उनके मन में सवाल उठा – “मैं इसमें कब बैठूंगी?” उसी दिन से उन्होंने ठान लिया कि वह एक दिन एयर होस्टेस बनेंगी, चाहे रास्ता कितना भी कठिन क्यों न हो।
उनके इस सपने पर पहले तो गांव और रिश्तेदारों ने तंज कसे, लेकिन ममता के आत्मविश्वास को कोई डिगा नहीं सका।
पढ़ाई के साथ-साथ किया मेहनत और सेविंग
ममता ने स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद एयर होस्टेस ट्रेनिंग के लिए जयपुर का रुख किया। उन्होंने अपनी पढ़ाई और ट्रेनिंग का खर्च निकालने के लिए ट्यूशन पढ़ाए, पार्ट टाइम जॉब की और खुद को कभी किसी एक चीज में सीमित नहीं किया।
जयपुर में रहते हुए उन्होंने इंग्लिश कम्युनिकेशन, ग्रूमिंग और एयरलाइंस इंडस्ट्री के तमाम पहलुओं को सीखा और अपने आत्मविश्वास में लगातार निखार लाया।
इंटरव्यू में सिलेक्शन और पहली फ्लाइट
कड़ी मेहनत के बाद ममता का चयन एक प्रतिष्ठित एयरलाइंस कंपनी में हुआ। जब उन्होंने पहली बार यूनिफॉर्म पहनकर फ्लाइट में कदम रखा, तो वह पल उनके लिए किसी सपने के सच होने जैसा था।
ममता बताती हैं कि जब वह फ्लाइट में यात्रियों का स्वागत कर रही थीं, तो उन्हें अपने पुराने दिन याद आ रहे थे — तपती दोपहर में बकरियां चराना और अब एयरकंडीशन्ड फ्लाइट में यात्रियों की सेवा करना — यह बदलाव मेहनत की मिसाल है।

समाज के लिए एक संदेश – बेटियों को अवसर दीजिए
ममता चौधरी आज न केवल एक सफल एयर होस्टेस हैं, बल्कि समाज में एक मजबूत संदेश भी दे रही हैं। वह कहती हैं कि “बेटियों को बोझ नहीं, अवसर मानिए। अगर सपनों को पंख मिल जाएं, तो गांव की बेटियां भी आसमान छू सकती हैं।”
उन्होंने यह भी कहा कि गांव की लड़कियों को संसाधनों की कमी भले हो, लेकिन अगर परिवार का साथ मिले और खुद पर भरोसा हो, तो सफलता किसी महानगर की मोहताज नहीं होती।
Jhalko Rajasthan के माध्यम से एक प्रेरणा
Jhalko Rajasthan इस तरह की कहानियों को सामने लाने के लिए प्रतिबद्ध है, जो न केवल खबर होती हैं बल्कि समाज के लिए प्रेरणा बनती हैं। ममता चौधरी जैसी बेटियों की सफलता यह साबित करती है कि राजस्थान की मिट्टी में हौसलों की कोई कमी नहीं है, बस उन्हें पहचानने और निखारने की जरूरत है।
निष्कर्ष – गांव से गगन तक का सफर
ममता चौधरी की यह कहानी एक मिसाल है उन सभी लड़कियों के लिए जो सीमित संसाधनों में भी बड़े सपने देखती हैं। खेतों से आसमान तक का यह सफर केवल उनका नहीं, बल्कि उन सभी का है जो समाज की रुकावटों को पार करके खुद को साबित करते हैं।
Jhalko Rajasthan ममता को सलाम करता है और उम्मीद करता है कि उनकी यह कहानी और भी बेटियों को अपने सपनों की उड़ान भरने के लिए प्रेरित करेगी।
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