बीकानेर: प्रशासनिक कार्रवाई के खिलाफ छात्र नेता रामनिवास कूकणा ने खोला मोर्चा
बीकानेर में चल रही अवैध अतिक्रमण हटाओ मुहिम के तहत नगर निगम और प्रशासन द्वारा की जा रही ‘पीले पंजे’ (JCB) की कार्रवाई को लेकर NSUI अध्यक्ष रामनिवास कूकणा ने सख्त नाराज़गी जताई है। उन्होंने इस कार्रवाई को जनविरोधी और गरीब विरोधी बताते हुए मोर्चा खोल दिया है।

क्या है मामला?
पिछले कुछ दिनों से बीकानेर में प्रशासन द्वारा अवैध कब्जों को हटाने के लिए जेसीबी मशीनों का इस्तेमाल कर तोड़फोड़ अभियान चलाया जा रहा है। प्रशासन का कहना है कि यह कदम शहर को अतिक्रमण मुक्त बनाने के लिए जरूरी है, लेकिन इस कार्रवाई में कई छोटे दुकानदारों, रेहड़ी-पटरी वालों और गरीब परिवारों के आशियाने भी उजाड़ दिए गए।
रामनिवास कूकणा का विरोध
NSUI बीकानेर के जिला अध्यक्ष रामनिवास कूकणा ने कहा कि प्रशासन बिना पूर्व सूचना दिए सीधे पीला पंजा चला रहा है। इससे आमजन का विश्वास प्रशासन से उठ रहा है। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या विकास के नाम पर सिर्फ गरीबों को कुचला जाएगा?
“हम विकास के विरोध में नहीं हैं, लेकिन विकास की आड़ में गरीबों के चूल्हे नहीं बुझने चाहिए। सरकार और प्रशासन को संवेदनशीलता दिखानी चाहिए।” — रामनिवास कूकणा
धरना प्रदर्शन और ज्ञापन
NSUI के नेतृत्व में छात्र-युवाओं और स्थानीय नागरिकों ने प्रशासन के खिलाफ धरना प्रदर्शन किया। जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंपते हुए उन्होंने यह मांग की:
- कार्रवाई से पहले लिखित नोटिस दिया जाए
- बेघर हुए लोगों के लिए पुनर्वास योजना चलाई जाए
- छोटे व्यापारियों को स्थायी वैकल्पिक जगह दी जाए
- कार्रवाई की न्यायिक जांच कराई जाए
प्रभावित लोगों की स्थिति
Jhalko Bikaner की ग्राउंड रिपोर्ट के अनुसार, अतिक्रमण के नाम पर उजड़े हुए लोगों की हालत बेहद दयनीय है। कई परिवारों के पास रहने के लिए कोई दूसरा ठिकाना नहीं है। एक महिला दुकानदार ने बताया कि उसकी दुकान तोड़े जाने के बाद अब उसका रोज़गार छिन गया है।
प्रशासन की सफाई
प्रशासन का कहना है कि यह कार्रवाई पूरी तरह से नियमानुसार की जा रही है। नगर निगम अधिकारियों ने बताया कि अवैध कब्जे हटाने के लिए कई बार चेतावनी दी गई थी। कुछ स्थानों पर विरोध के बावजूद प्रशासन ने अपना काम जारी रखा।
राजनीतिक गरमाहट
यह मुद्दा अब राजनीतिक रंग भी पकड़ रहा है। NSUI के इस विरोध प्रदर्शन के बाद अन्य राजनीतिक संगठनों ने भी प्रशासन की नीति पर सवाल उठाना शुरू कर दिया है। वहीं, विपक्षी दल इसे जनता के साथ अन्याय करार दे रहे हैं।
Jhalko Rajasthan की राय
Jhalko Rajasthan का मानना है कि अतिक्रमण हटाना आवश्यक है, लेकिन इसकी प्रक्रिया में संवेदनशीलता और पारदर्शिता जरूरी है। विकास के नाम पर अगर आमजन को ही कुचला जाएगा, तो न तो शहर सुशासित बनेगा और न ही जनसरोकार सुरक्षित रहेंगे।
निष्कर्ष: क्या विकास के नाम पर टूटेगा जनविश्वास?
प्रशासन की यह कार्रवाई आने वाले समय में बीकानेर के शहरी ढांचे को सुधारने में कितनी मददगार होगी, यह तो वक्त बताएगा। लेकिन वर्तमान में, गरीब और कमजोर वर्ग इसका सबसे बड़ा शिकार बनते दिख रहे हैं। रामनिवास कूकणा जैसे युवा नेताओं की आवाज़ अगर प्रशासन तक पहुंचे और समाधान निकले, तो ही यह ‘विकास’ वास्तव में सार्थक बन पाएगा।

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