चूरू में जनसमस्याओं को लेकर राहुल कस्वां और रफीक मंडेलिया का बड़ा कदम
चूरू। राजस्थान के चूरू जिले में लगातार बढ़ती जनसमस्याओं को लेकर अब नेताओं ने मोर्चा खोल दिया है। सांसद राहुल कस्वां और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता रफीक मंडेलिया ने जनहित से जुड़ी समस्याओं को लेकर बड़ा एक्शन लिया है। दोनों नेताओं ने प्रशासन को घेरा, धरनास्थलों का दौरा किया और जनता की आवाज को प्रमुखता से उठाया।

जनता की परेशानी: सड़क, पानी, बिजली और स्वास्थ्य सेवाएं बनी चुनौती
चूरू में लंबे समय से नागरिक बुनियादी समस्याओं से जूझ रहे हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कें जर्जर हालत में हैं, शहरी इलाकों में पीने के पानी की भारी किल्लत है और बिजली कटौती ने आमजन का जीवन कठिन बना दिया है। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों में डॉक्टरों और दवाओं की कमी ने स्वास्थ्य सेवाओं को भी कमजोर कर दिया है।
इन समस्याओं को लेकर जनता लगातार प्रशासन से गुहार लगा रही थी, लेकिन कार्रवाई के अभाव में अब नेताओं ने खुद मैदान में उतरने का फैसला लिया।
राहुल कस्वां की चेतावनी: जनता की अनदेखी नहीं सहेगी भाजपा
भारतीय जनता पार्टी के सांसद राहुल कस्वां ने कहा,
“अगर प्रशासन जनहित की अनदेखी करता रहा, तो हम सड़क से संसद तक संघर्ष करेंगे। चूरू की जनता को उसके अधिकार दिलाना हमारी प्राथमिकता है।”
उन्होंने अधिकारियों को चेतावनी दी कि समस्याओं को प्राथमिकता से नहीं सुलझाया गया तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा।
रफीक मंडेलिया का धरना स्थल पर पहुंचकर प्रशासन को घेराव
कांग्रेस नेता रफीक मंडेलिया ने क्षेत्रीय लोगों के साथ मिलकर धरना प्रदर्शन में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि सरकार के बदलने के बावजूद व्यवस्थाओं में कोई सुधार नहीं हुआ है। आम आदमी आज भी बुनियादी सुविधाओं के लिए संघर्ष कर रहा है। उन्होंने अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठाए और स्थानीय निकायों की निष्क्रियता को जनता के साथ अन्याय बताया।
प्रशासन के खिलाफ विरोध: धरना-प्रदर्शन में जुटी भीड़
राहुल कस्वां और रफीक मंडेलिया दोनों के नेतृत्व में आयोजित विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में लोग शामिल हुए। आमजन ने अपने क्षेत्रीय मुद्दों को खुलकर सामने रखा।
कुछ प्रमुख शिकायतें थीं:
- पानी की टंकी निर्माण में देरी
- नालियों की साफ-सफाई न होना
- ग्रामीण इलाकों में स्वास्थ्य केंद्रों की बदहाली
- स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी
Jhalko Rajasthan की ग्राउंड रिपोर्ट: जनता की उम्मीदें
Jhalko Rajasthan की टीम ने धरनास्थल पर पहुंचकर स्थानीय नागरिकों से बातचीत की। एक बुजुर्ग महिला ने कहा,
“हम कई सालों से पानी की समस्या झेल रहे हैं। नेता आते हैं, वादे करते हैं, लेकिन हालात वही हैं। अब अगर ये लोग कुछ कर सकें, तो हमारे बच्चों का भविष्य सुधर सकता है।”

वहीं एक युवक ने बताया कि स्कूल की हालत खराब है और बच्चों को मजबूरी में दूसरे गांव भेजना पड़ता है।
प्रशासन की प्रतिक्रिया: समस्याओं के समाधान का भरोसा
धरने और विरोध प्रदर्शन के बाद प्रशासन की ओर से अधिकारियों ने मौके पर पहुंचकर समस्या को सुना और समाधान का भरोसा दिलाया। जिला कलेक्टर ने कहा कि जिन समस्याओं को सामने रखा गया है, उन पर कार्रवाई की जाएगी और संबंधित विभागों को निर्देश दिए जा चुके हैं।
राजनीतिक समीकरण: सत्तापक्ष और विपक्ष की रणनीति
यह घटना केवल जनसमस्याओं तक सीमित नहीं है, बल्कि इसके राजनीतिक मायने भी हैं। एक ओर भाजपा जनता के मुद्दों को उठाकर सत्तापक्ष पर दबाव बना रही है, वहीं कांग्रेस भी क्षेत्र में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश कर रही है। दोनों नेताओं की सक्रियता आने वाले चुनावों की तैयारियों की तरफ भी इशारा करती है।
निष्कर्ष: जनता की आवाज बन रहे नेता, अब दिखेगा असर?
चूरू में बढ़ती समस्याओं के बीच राहुल कस्वां और रफीक मंडेलिया जैसे नेताओं का एक्शन लेना दर्शाता है कि जनता की आवाज अब अनसुनी नहीं रहेगी। हालांकि, जनता को अब भी इंतजार है कि धरना और भाषण से आगे बढ़कर ज़मीनी बदलाव कब दिखेगा।
अगर प्रशासन समय रहते समाधान नहीं करता, तो यह आंदोलन और बड़ा रूप ले सकता है
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