बीकानेर के बंगला नगर में गंदगी का अंबार, लोगों का जीना हुआ दुश्वार

Jhalko Rajasthan डेस्क, बीकानेर:
बीकानेर शहर के बंगला नगर क्षेत्र में गंदगी की भयावह स्थिति ने स्थानीय निवासियों की जिंदगी को नारकीय बना दिया है। गलियों में फैली कूड़े-कचरे की ढेर, खुले में बहता गंदा पानी और बदबू से लोगों का जीना मुश्किल हो गया है। इस स्थिति को लेकर स्थानीय लोगों का गुस्सा अब प्रशासन के खिलाफ फूट पड़ा है।
गलियों में जमा कचरे से बढ़ा संक्रमण का खतरा
बंगला नगर की गलियों में लंबे समय से सफाई नहीं हुई है। जगह-जगह कचरे के ढेर लगे हैं, जिनमें आवारा पशु घूमते रहते हैं और रात के समय बदबू और मच्छरों का प्रकोप बढ़ जाता है।
स्थानीय लोगों का कहना है कि कई बार नगर निगम से शिकायत की गई, लेकिन कोई स्थायी समाधान नहीं निकला। नालियों की सफाई नहीं होने से पानी जमा हो जाता है, जिससे मच्छरों और बीमारियों का खतरा कई गुना बढ़ गया है।
स्थानीय लोगों ने जताया आक्रोश
गली नंबर 3 और 5 में रहने वाले नागरिकों ने कैमरे के सामने अपना गुस्सा जाहिर किया। उन्होंने कहा:
“हमारे बच्चे बाहर खेल भी नहीं सकते। हर तरफ गंदगी फैली है। कई बार सफाई कर्मचारियों को बुलाया, लेकिन कोई नहीं आता।”
“नाले भर चुके हैं, बदबू इतनी है कि खिड़की भी नहीं खोल सकते।”
“प्रशासन सिर्फ चुनाव के समय दिखता है, उसके बाद कोई सुध लेने नहीं आता।”
व्यापारियों को भी हो रहा नुकसान
इस क्षेत्र में कई छोटे दुकानदार और ठेले वाले भी काम करते हैं। दुकानदारों ने बताया कि गंदगी के कारण ग्राहक दुकान तक नहीं आते। खाने-पीने की दुकानों के सामने कूड़े के ढेर लगे हैं, जिससे व्यापार पर सीधा असर पड़ा है।
सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी उठाई आवाज
स्थानीय सामाजिक संगठनों और एक्टिविस्ट्स ने भी बंगला नगर की हालत पर चिंता जताई है। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि नियमित सफाई व्यवस्था सुनिश्चित की जाए और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई हो।
एक स्थानीय कार्यकर्ता ने कहा:
“बंगला नगर कोई झुग्गी बस्ती नहीं, एक विकसित कॉलोनी है। यहां के लोग टैक्स देते हैं, तो उन्हें बुनियादी सुविधाएं क्यों नहीं मिलतीं?”
प्रशासन की चुप्पी सवालों के घेरे में
स्थानीय नगर निगम के अधिकारियों से जब इस मुद्दे पर बात की गई, तो कोई स्पष्ट जवाब नहीं मिला। सफाई विभाग के एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि “स्टाफ की कमी और संसाधनों की दिक्कत के कारण नियमित सफाई नहीं हो पा रही है।”
हालांकि, सवाल यह उठता है कि जब समस्याएं स्थायी हैं, तो समाधान अस्थायी क्यों हैं? लोगों की सेहत और स्वच्छ वातावरण का अधिकार क्या प्रशासन की प्राथमिकता नहीं है?

स्वच्छ भारत मिशन की खुलती पोल
जहां एक ओर सरकार “स्वच्छ भारत मिशन” को सफल बताने में जुटी है, वहीं बंगला नगर जैसे इलाकों की स्थिति इस अभियान की जमीनी सच्चाई को उजागर करती है। पोस्टर, रैलियां और घोषणाएं तो बहुत होती हैं, लेकिन ज़मीनी हकीकत में सुधार नहीं दिखाई देता।
क्या होगा समाधान?
स्थानीय निवासियों की मांग है कि:
- नियमित सफाई कर्मचारियों की तैनाती हो
- नालियों की मशीन से सफाई करवाई जाए
- हर गली में कचरे के लिए डस्टबिन लगाए जाएं
- जनप्रतिनिधि मौके पर आकर स्थिति देखें
- स्वास्थ्य विभाग की टीम द्वारा इलाके में फॉगिंग और कीटनाशक दवाओं का छिड़काव हो
निष्कर्ष – कब जागेगा प्रशासन?
बंगला नगर, बीकानेर के लोग आज प्रशासन की लापरवाही की सजा भुगत रहे हैं। यह केवल एक कॉलोनी की समस्या नहीं है, यह पूरे शहरी प्रशासन के ढांचे की पोल खोलने वाला उदाहरण है। यदि समय रहते समाधान नहीं हुआ, तो हालात और बिगड़ सकते हैं।
Jhalko Rajasthan प्रशासन से अपील करता है कि बंगला नगर की स्थिति को गंभीरता से लिया जाए और त्वरित कार्रवाई की जाए, ताकि आम जनता को राहत मिल सके।
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