सरदारशहर नगर परिषद में बड़ा सियासी ड्रामा, सभापति के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव से मचा हड़कंप

Jhalko Rajasthan डेस्क, सरदारशहर:
राजस्थान के चुरू जिले के सरदारशहर में एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। नगर परिषद में उस समय बड़ा सियासी ड्रामा देखने को मिला जब सभापति के खिलाफ पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया। यह घटनाक्रम न केवल स्थानीय राजनीति बल्कि पूरे जिले के राजनीतिक समीकरणों को प्रभावित करने वाला माना जा रहा है।
पार्षदों की नाराजगी ने बदला माहौल
नगर परिषद के कई पार्षदों ने सभापति पर मनमानी, भ्रष्टाचार और पारदर्शिता की कमी जैसे गंभीर आरोप लगाए हैं। इन आरोपों के आधार पर एक अविश्वास प्रस्ताव तैयार किया गया और नियमानुसार जिला प्रशासन को सौंपा गया।
सूत्रों के अनुसार, 35 में से 24 पार्षदों ने इस प्रस्ताव का समर्थन किया है, जो स्पष्ट बहुमत को दर्शाता है। ऐसे में अब यह देखना दिलचस्प होगा कि आगे की कार्यवाही किस दिशा में जाती है।
आरोपों की लंबी सूची
अविश्वास प्रस्ताव में जिन प्रमुख कारणों का उल्लेख किया गया है, उनमें शामिल हैं:
- विकास कार्यों में पारदर्शिता की कमी
- परिषद की बैठकों में लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं का पालन न होना
- ठेकों में कथित भ्रष्टाचार और नियमों की अनदेखी
- जनहित के मामलों में उपेक्षा और जनप्रतिनिधियों की आवाज को दबाना
पार्षदों का कहना है कि वे लंबे समय से इन मुद्दों को उठा रहे थे, लेकिन कोई समाधान नहीं हुआ। अंततः उन्होंने यह कठोर कदम उठाने का निर्णय लिया।
सभापति का पक्ष – “राजनीतिक साजिश”
वहीं सभापति ने इन सभी आरोपों को सिरे से खारिज किया है। उनका कहना है कि यह अविश्वास प्रस्ताव एक सोची-समझी राजनीतिक साजिश का हिस्सा है। उन्होंने कहा कि “मैंने हमेशा विकास को प्राथमिकता दी है, लेकिन कुछ लोग व्यक्तिगत स्वार्थ के लिए परिषद का वातावरण बिगाड़ना चाहते हैं।”
सभापति ने आगे यह भी कहा कि वे कानूनी और प्रशासनिक रूप से इसका मुकाबला करेंगे और पार्षदों के सामने सच लाएंगे।
जिला प्रशासन की भूमिका पर भी उठे सवाल
इस पूरे घटनाक्रम में जिला प्रशासन की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं। कई लोगों का मानना है कि यदि प्रारंभिक शिकायतों पर ही उचित कार्रवाई होती, तो मामला इस हद तक नहीं पहुंचता। अब जब अविश्वास प्रस्ताव जिला प्रशासन को सौंपा जा चुका है, तो प्रशासन की अगली कार्रवाई पर सभी की निगाहें टिकी हुई हैं।
स्थानीय जनता की प्रतिक्रिया
सरदारशहर की आम जनता इस घटनाक्रम को लेकर दो खेमों में बंटी हुई दिखाई दे रही है। कुछ लोग पार्षदों के फैसले को सही ठहरा रहे हैं और पारदर्शिता की मांग कर रहे हैं, वहीं कुछ लोग इसे राजनीतिक प्रतिशोध की संज्ञा दे रहे हैं।

स्थानीय व्यापारियों और युवाओं का कहना है कि पिछले कुछ महीनों में विकास कार्यों की गति धीमी हुई है, जिससे आमजन को असुविधा का सामना करना पड़ रहा है।
विशेषज्ञों की राय – क्या बदलेंगे समीकरण?
राजनीतिक विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यह अविश्वास प्रस्ताव सफल होता है, तो यह न केवल नगर परिषद की कार्यशैली पर असर डालेगा बल्कि आगामी नगर निकाय चुनावों में भी नए समीकरण खड़े करेगा।
विशेष रूप से यह देखना अहम होगा कि किस पार्टी या गुट को इसका फायदा या नुकसान होता है।
निष्कर्ष – लोकतांत्रिक प्रक्रिया की अग्निपरीक्षा
सरदारशहर नगर परिषद में सभापति के खिलाफ लाया गया अविश्वास प्रस्ताव लोकतंत्र की उस प्रक्रिया का हिस्सा है जिसमें जनप्रतिनिधियों को जनहित में निर्णय लेने का अधिकार होता है। लेकिन यह प्रक्रिया तभी सार्थक होती है जब इसके पीछे नीयत साफ हो।
अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस प्रस्ताव पर क्या निर्णय लेता है और क्या सरदारशहर को मिलेगा एक नया नेतृत्व या वर्तमान सभापति अपना विश्वास बचाने में सफल रहते हैं।
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