बीकानेर (झलको राजस्थान)। सोशल मीडिया पर अपनी कॉमेडी और हँसी-खुशी से लाखों दिलों को जीतने वाले बीकानेर के मशहूर कॉमेडियन “लुक्सा” आज खुद गंभीर बीमारी से जूझ रहे हैं। हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि उन्हें अपना घर, गाड़ी और यहाँ तक कि उनका कमाई का सबसे बड़ा जरिया — उनका Instagram अकाउंट भी बेचना पड़ा।

150 से ज्यादा गांठें बनीं बीमारी की वजह
वीडियो इंटरव्यू में लुक्सा ने बताया कि उन्हें पिछले 5-6 सालों से लगातार शरीर में गांठें बन रही हैं। शुरुआत में गले में एक गांठ थी, जो धीरे-धीरे पूरे शरीर में फैल गई। अब तक 150 से ज्यादा गांठें बन चुकी हैं — छाती से लेकर पेट तक। सरकारी अस्पतालों में इलाज के बाद उन्हें निजी अस्पतालों का सहारा लेना पड़ा, जिससे आर्थिक तंगी बढ़ती चली गई।
घर-गाड़ी बिक गई, Instagram ID भी बेचना पड़ा
इलाज की बढ़ती लागत के चलते उन्हें सबसे पहले अपना घर बेचना पड़ा। फिर गाड़ी भी चली गई। लेकिन सबसे ज्यादा पीड़ा तब हुई जब उन्हें अपना Instagram अकाउंट, जिस पर हजारों फॉलोअर्स थे और जिसकी बदौलत वो कमाई करते थे, उसे भी बेचना पड़ा।
“मैं टूटा नहीं हूं, लड़ रहा हूं” — लुक्सा
इंटरव्यू में लुक्सा ने भावुक होते हुए कहा,
“मैं हार नहीं मान रहा हूं, लड़ रहा हूं… मैंने आज तक किसी से मदद नहीं मांगी, लेकिन अब हालात ऐसे हैं कि मुझे आप सब लोगों से उम्मीद है।”
उन्होंने बताया कि अब वो किराए के मकान में रह रहे हैं और इलाज के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं। उनकी जरूरत लगभग 7-8 लाख रुपये की है जिसमें 5 लाख तक तो कर्ज ही हो चुका है।
बीकानेर से सहयोग मिलने लगा, लेकिन ज़रूरत अभी और है
लुक्सा ने कहा कि अब तक कुछ मजदूर वर्ग के लोग और जान-पहचान वाले मदद के लिए आगे आए हैं, लेकिन अभी जरूरत बहुत ज्यादा है। 7-8 लाख के मुकाबले अब तक मात्र 50-60 हजार रुपये ही इकट्ठा हो पाए हैं।
“Game Promotions तक नहीं किए, लेकिन अब मजबूरी है”
लुक्सा ने बताया कि कई बार गेमिंग कंपनियों ने मोटे पैसे ऑफर किए थे, लेकिन बच्चों को बिगड़ने से बचाने के लिए उन्होंने कभी भी ऐसे प्रचार नहीं किए। आज भी वो वही सच्चाई और ईमानदारी से जीना चाहते हैं, लेकिन अब हालात बहुत कठिन हैं।
आप भी कर सकते हैं मदद
अगर आप भी बीकानेरी लुक्सा की हिम्मत और संघर्ष से प्रभावित हैं और उनकी मदद करना चाहते हैं, तो कृपया वीडियो शेयर करें, आर्थिक सहायता करें या किसी भी तरीके से सहयोग दें। उनका कहना है कि “₹1 से लेकर ₹1000 तक, हर सहयोग मायने रखता है।”
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