झलको राजस्थान | Dausa, Rajasthan
राजस्थान के हर जिले की कोई न कोई खासियत होती है – कहीं किले तो कहीं मंदिर, कहीं संस्कृति तो कहीं खानपान। लेकिन दौसा जिले की एक मिठाई ऐसी है जो न केवल स्वाद में लाजवाब है, बल्कि इसकी पहचान राजा-महाराजाओं से लेकर आमजन तक फैली हुई है। हम बात कर रहे हैं – डोठा मिठाई की।
क्या है डोठा मिठाई और क्यों है खास?
डोठा मिठाई देसी घी में बनी एक बेहद सॉफ्ट मिठाई है, जिसे खाने के लिए दांतों की ज़रूरत नहीं पड़ती। यह मिठाई इतनी मुलायम होती है कि बुजुर्ग जिनके दांत नहीं हैं, वे भी इसे आसानी से खा सकते हैं।

देसी घी और शुद्धता की पहचान
इस मिठाई को पूरी तरह देसी घी में बनाया जाता है। न कोई प्रिजर्वेटिव, न कोई मिलावट। इसमें केवल तीन शुद्ध सामग्री इस्तेमाल होती हैं – मावा, घी और बादाम का आटा। यही वजह है कि डोठा मिठाई 10 से 15 दिनों तक खराब नहीं होती।
राजा मानसिंह भी थे डोठा के दीवाने
डोठा मिठाई की लोकप्रियता कोई नई बात नहीं है। जब राजा मानसिंह पहली बार दौसा आए थे और गोलचा फैक्ट्री के उद्घाटन में शामिल हुए, तो उन्हें डोठा मिठाई परोसी गई थी। कहा जाता है कि मिठाई की सॉफ्टनेस देखकर उन्होंने अपने पास रखा झालसा कलदार (सिक्का) मिठाई में डाल दिया था, और वह आर-पार निकल गया – यह इसकी कोमलता का प्रमाण था। आज भी वह सिक्का उनकी पीढ़ियों के पास मौजूद है।
मिठाई जो पहुंच चुकी है देश और विदेश तक
आज सोशल मीडिया के ज़रिए डोठा मिठाई ने अंतरराष्ट्रीय पहचान बना ली है। विदेशों में रहने वाले लोग भी इसे अपने साथ ले जाते हैं। यह मिठाई प्रयागराज कुंभ मेले में भी परोसी गई थी और अयोध्या राम मंदिर उद्घाटन के अवसर पर मेहंदीपुर बालाजी के भंडारे में भी इसका वितरण हुआ था।
कैसे बनती है डोठा मिठाई?
डोठा मिठाई बनाने में लगभग चार घंटे का समय लगता है।
- ढाई से तीन घंटे तक इसे धीमी आंच पर घी में पकाया जाता है।
- इसके बाद चाशनी में डुबोकर मिठाई को तैयार किया जाता है।
- पूरी प्रक्रिया शुद्धता और परंपरागत तरीके से की जाती है।
कीमत और उपलब्धता
डोठा मिठाई की कीमत ₹480 प्रति किलो है। यह कीमत आज की बर्फी जैसी मिठाइयों के मुकाबले बिलकुल वाजिब मानी जाती है, खासकर जब यह पूरी तरह देसी घी और शुद्ध सामग्रियों से बनी हो।
सात पीढ़ियों से चल रही है परंपरा
डोठा मिठाई बनाने वाली दुकान की शुरुआत आज से 15-20 साल पहले नहीं, बल्कि सात पीढ़ियों पहले हुई थी। यह मिठाई दौसा की पहचान बन चुकी है और हर विशेष अवसर, शादी, उत्सव या धार्मिक समारोह में गिफ्ट के रूप में दी जाती है।
क्यों खानी चाहिए डोठा?
- देसी घी की शुद्धता
- बेहद सॉफ्ट, बुजुर्गों के लिए भी उपयुक्त
- 15 दिन तक खराब नहीं होती
- स्वाद में लाजवाब
- स्थानीय संस्कृति और परंपरा का प्रतीक
दौसा आओ, तो डोठा ज़रूर खाओ
यदि आप कभी दौसा घूमने आएं – चाहे चांद बावड़ी, नीलकंठ महादेव या कोई अन्य ऐतिहासिक स्थल देखने – तो डोठा मिठाई जरूर चखें। यह न सिर्फ स्वाद का अनुभव है, बल्कि दौसा की सांस्कृतिक मिठास का प्रतीक भी है।

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