जयपुर: विद्याधर नगर स्टेडियम में कथावाचक प्रदीप मिश्रा की कथा में भारी अव्यवस्था
जयपुर के विद्याधर नगर स्टेडियम में आयोजित महापुराण कथा में कथावाचक प्रदीप मिश्रा जी की सात दिवसीय कथा चल रही है। एक मई से प्रारंभ हुई इस कथा का आज तीसरा दिन था, लेकिन पंडाल में भीड़ और व्यवस्था की कमी के चलते आमजन को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ा।

कथा सुनने पहुंचे हजारों श्रद्धालु, धूप में खड़े रहने को मजबूर
सुबह से ही दूर-दराज से आए श्रद्धालु विद्याधर नगर स्टेडियम के बाहर खड़े नजर आए। कुछ लोग रातभर से लाइन में लगे हुए थे, लेकिन सुबह 10:00 बजे के बाद पंडाल में एंट्री रोक दी गई। श्रद्धालुओं का कहना है कि अंदर काफी जगह होते हुए भी उन्हें अंदर नहीं जाने दिया गया।
“हम सुबह 9 बजे से खड़े हैं, वीआईपी पास होने के बावजूद अंदर नहीं जाने दिया जा रहा,” — एक श्रद्धालु ने बताया।
बुजुर्ग और दिव्यांगों को भी नहीं दी गई प्राथमिकता
कई परिवार अपने बच्चों और बुजुर्गों के साथ कथा सुनने आए थे। कुछ दिव्यांगजन और महिलाएं अपने बीमार बच्चों के साथ धूप में खड़ी रहीं, लेकिन उन्हें भी प्रवेश नहीं मिला। एक महिला ने बताया कि उसकी बच्ची के पैरों में समस्या है, फिर भी पुलिस और वालंटियर्स ने अंदर जाने नहीं दिया।
“धूप में तबियत खराब हो रही है, लेकिन कथा सुने बिना नहीं जाएंगे,” — श्रद्धालु की दृढ़ता।
VIP कल्चर पर उठे सवाल
श्रद्धालुओं में रोष इस बात को लेकर भी था कि वीआईपी पास वाले कुछ लोगों को तो अंदर जाने दिया जा रहा है, लेकिन आम जनता को बाहर रोक दिया गया। एक व्यक्ति ने बताया कि पंडाल के अंदर उनके जानकार पहले से मौजूद हैं, और अंदर काफी जगह खाली है।
“भगवान तो सबके हैं, फिर सिर्फ वीआईपी को क्यों प्राथमिकता दी जा रही है?” — भीड़ में खड़े एक व्यक्ति ने कहा।
पंडाल के बाहर नहीं थीं कोई एलईडी या ध्वनि व्यवस्था
भीड़ को नियंत्रित करने के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं की गई। न तो पंडाल के बाहर बैठने की सुविधा थी और न ही कोई एलईडी स्क्रीन या ध्वनि व्यवस्था जिससे बाहर खड़े लोग कथा सुन सकें। कई लोगों ने यह सवाल भी उठाया कि जब प्रचार किया जा रहा था तो व्यवस्था भी उचित होनी चाहिए थी।
प्रशासन और आयोजकों पर उठे सवाल
लोगों का कहना था कि प्रशासन और आयोजकों को पहले ही अनुमान होना चाहिए था कि इतनी बड़ी संख्या में श्रद्धालु आएंगे। फिर भी कोई अतिरिक्त व्यवस्था नहीं की गई। गर्मी और भीड़ के चलते एक महिला बेहोश भी हो गई, लेकिन किसी प्रकार की चिकित्सीय सहायता नहीं दिखी।
“अगर व्यवस्था नहीं थी, तो प्रचार क्यों किया गया? हम सड़कों पर बैठने को तैयार हैं, बस कथा सुननी है,” — एक श्रद्धालु की बात।
क्या कहते हैं आयोजक?
वालंटियर्स और आयोजकों का कहना है कि पंडाल में लगभग 2 लाख लोगों की जगह है, लेकिन अनुमान से ज्यादा यानी 8 लाख से अधिक लोग कथा सुनने पहुंच गए, जिससे प्रवेश रोकना पड़ा। उनका यह भी कहना था कि 10:00 बजे के बाद प्रवेश बंद कर दिया गया ताकि भगदड़ जैसी स्थिति न हो।
निष्कर्ष: व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
जयपुर जैसे बड़े शहर में, और जब आयोजक पहले से जानते हैं कि प्रदीप मिश्रा जैसे प्रसिद्ध कथावाचक आ रहे हैं, तो भी इतनी लचर व्यवस्था होना कई सवाल खड़े करता है। आम जनता की यह मांग सही प्रतीत होती है कि भगवान और भक्ति में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए।
कथा सुनने का अधिकार हर किसी का है — फिर चाहे वो वीआईपी हो या आम नागरिक।

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