राजसमंद (हल्दीघाटी), राजस्थान।
राजस्थान की ऐतिहासिक धरती हल्दीघाटी केवल महाराणा प्रताप की वीरगाथा के लिए ही नहीं, बल्कि यहां उगने वाले चैत्री गुलाब और उससे बनने वाले शरबत के लिए भी विश्वप्रसिद्ध है। यह गुलाब खासतौर पर चैत्र माह (मार्च-अप्रैल) में खिलता है और इसकी खुशबू, रंग, औषधीय गुण इसे बाकी गुलाबों से अलग बनाते हैं।

क्या है चैत्री गुलाब?
हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब एक ऐसी किस्म है जो न केवल भारत में बल्कि पूरी दुनिया में अपनी विशिष्ट खुशबू और औषधीय गुणों के लिए जाना जाता है। यह गुलाब केवल हल्दीघाटी क्षेत्र में ही पाया जाता है, इसलिए इसे “यूनिक मेडिकेटेड गुलाब” कहा जाता है।
गुलाब शरबत बनाने की पारंपरिक विधि
यह शरबत पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है जिसमें गुलाब की पंखुड़ियों को पानी में मिलाकर भट्टी पर धीमी आंच पर पकाया जाता है। इस दौरान उसे मुल्तानी मिट्टी और गीले कपड़ों से ढक दिया जाता है ताकि उसकी खुशबू और औषधीय भाप बाहर न निकले। इसके बाद जो भाप निकलती है, उसे एक विशेष पाइप की मदद से ठंडा कर अर्क (गुलाब जल) में बदला जाता है।
शुद्धता की मिसाल
चैत्री गुलाब से बना यह शरबत 100% ऑर्गेनिक होता है, जिसमें ना कोई कलर, ना एसेंस और ना ही कोई प्रिजर्वेटिव मिलाया जाता है। इसका स्वाद बिल्कुल नैचुरल होता है और यह सफेद व क्रिस्टल-क्लियर होता है – देखने में पानी जैसा लेकिन सेहत के लिए बेहद लाभकारी।
क्या हैं फायदे?
- गर्मी में शरीर को ठंडक देता है
- पेट से जुड़ी समस्याओं में राहत
- लिवर और पाचन के लिए फायदेमंद
- अल्सर जैसी बीमारियों में सहायक
- त्वचा और आंखों के लिए लाभकारी
कीमत और उपलब्धता
हल्दीघाटी में यह शरबत 750 ml की बोतल में लगभग ₹300 में मिलता है। वहीं, चैत्री गुलाब जल की कीमत ₹500 प्रति लीटर और गुलकंद की ₹500 प्रति किलो है। इस शरबत की सबसे अधिक मांग मार्च-अप्रैल में रहती है, जब चैत्री गुलाब खिलता है।
निष्कर्ष:
हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब और उससे बना शरबत न केवल मेवाड़ की संस्कृति और परंपरा को दर्शाता है, बल्कि यह शरीर को प्राकृतिक रूप से ठंडा रखने वाला उत्तम पेय भी है। गर्मियों में अगर आप प्राकृतिक, शुद्ध और औषधीय पेय की तलाश में हैं, तो हल्दीघाटी का चैत्री गुलाब शरबत जरूर आजमाएं।
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