जम्मू-कश्मीर में हाल ही में हुए पर्यटकों पर हमले ने पूरे देश को झकझोर कर रख दिया है। यह हमला निहत्थे और निर्दोष पर्यटकों को निशाना बनाकर किया गया, जिसे सुरक्षा विशेषज्ञों और सैन्य अधिकारियों ने कायरता की पराकाष्ठा बताया है।

धर्म के आधार पर हिंसा – एक निंदनीय चलन
हमले में आतंकियों ने लोगों की पहचान उनके धर्म के आधार पर की और उन्हें निशाना बनाया। यह तरीका न केवल निंदनीय है बल्कि आतंकवाद का एक खतरनाक और नया चेहरा भी उजागर करता है। हमले के दौरान आतंकियों ने महिलाओं को निशाना नहीं बनाया, जिससे उनके selective targeting mindset की पुष्टि होती है।
पाकिस्तान की भूमिका पर संदेह
हमले के तुरंत बाद ही पाकिस्तान की भूमिका पर सवाल उठने लगे। रिटायर्ड सैन्य अधिकारियों और खुफिया सूत्रों का कहना है कि इस हमले के पीछे The Resistance Front (T.R.F.) जैसे आतंकी संगठन हैं, जिनका सीधा संबंध लश्कर-ए-तैयबा और पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से है।
एक रिटायर्ड कर्नल ने यहां तक कहा कि पाकिस्तान को अब “टेरर स्टेट” घोषित किया जाना चाहिए।
स्थानीय लोगों की मिली-जुली भूमिका
हालांकि कुछ स्थानीय लोग आतंकियों की मदद करते हैं, जिसे देशद्रोह माना जाना चाहिए, लेकिन अधिकांश आम नागरिक शांति और रोजगार की तलाश में हैं। ऐसे आतंकी हमले कश्मीर की अर्थव्यवस्था और आम लोगों के जीवन पर बुरा असर डालते हैं।
पर्यटन पर पड़ा गहरा असर
इस हमले के बाद पर्यटन बुकिंग्स की रद्दगी शुरू हो गई है, जिससे जम्मू-कश्मीर की पर्यटन आधारित अर्थव्यवस्था को बड़ा झटका लगा है।
यह घटना, जहां एक ओर आतंकवाद की गंभीरता को दिखाती है, वहीं यह भी साबित करती है कि आतंकवाद क्षेत्रीय विकास और शांति के सबसे बड़े दुश्मन हैं।
भारत की एकता पर हमला
इस हमले ने न केवल निर्दोष लोगों को शिकार बनाया बल्कि यह भारत की सांप्रदायिक एकता और शांति को भी चुनौती देने का प्रयास था।
विशेषज्ञों और नेताओं ने दो टूक कहा:
“धर्म के आधार पर देश नहीं बंटेगा।”
भारत में हिंदू-मुस्लिम भाईचारा हमेशा से मज़बूत रहा है और पाकिस्तान या उसके आतंकी संगठनों की साज़िशें इसे तोड़ नहीं सकतीं।
सुरक्षा एजेंसियों के सामने चुनौती
सुरक्षा और इंटेलिजेंस एजेंसियों के लिए यह हमला एक बड़ी चुनौती है। विशेषज्ञों का मानना है कि
“100% सुरक्षा कभी संभव नहीं होती, जैसा कि हमने पूर्व में राजीव गांधी की हत्या में देखा।”
आतंकी आम नागरिकों जैसे दिखते हैं, जिससे पहचानना और रोकना मुश्किल हो जाता है।
370 हटने के बाद की स्थिति और मौजूदा माहौल
अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में हालात बेहतर हुए हैं, लेकिन इस प्रकार की घटनाएं फिर से माहौल को अस्थिर करने का प्रयास करती हैं। यह स्पष्ट संकेत है कि आतंकी अब भी सक्रिय हैं और घाटी की शांति को भंग करना चाहते हैं।

🧠 निष्कर्ष:
यह हमला सिर्फ पर्यटकों पर नहीं था, यह भारत की एकता, कश्मीर की शांति और विकास के खिलाफ सुनियोजित हमला था। अब समय आ गया है कि आतंकियों के मनोविज्ञान और नेटवर्क दोनों को जड़ से खत्म किया जाए।
रिटायर्ड कर्नलों और विशेषज्ञों की राय साफ है: “अब सख्त कार्रवाई का वक्त है।”
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