पति का संरक्षक होने का दायित्व और उसकी गंभीरता
हाल ही में कोर्ट ने एक ऐसा फैसला सुनाया है जिसने समाज को झकझोर कर रख दिया है। एक पति, जिसका कर्तव्य अपनी पत्नी का संरक्षक होना चाहिए, उसी ने अपनी पत्नी को प्रताड़ित कर मौत के घाट उतार दिया।
आठ साल पुरानी वारदात का खुलासा
वर्ष 2016 में कैलाश कंवर की शादी देवी सिंह से हुई। शुरुआत में सब सामान्य था, लेकिन कुछ समय बाद ही देवी सिंह और उसके परिवार ने दहेज़ की मांग करना शुरू कर दी। जब पीहर पक्ष ने सहयोग नहीं किया, तो कैलाश को मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया जाने लगा।
अत्याचार और अंततः हत्या
9 अप्रैल 2017 की रात को देवी सिंह ने अपनी पत्नी कैलाश के साथ मारपीट की और जान से मारने की धमकी दी। कैलाश ने अपनी माँ को फोन कर आखिरी बार अपनी सुरक्षा की गुहार लगाई। लेकिन अगले ही दिन खबर आई कि कैलाश की मौत करंट लगने से हो गई है। जब पीहर पक्ष ने बॉडी देखी, तो पैरों पर जले के निशान पाए गए। पायल पर करंट लगाकर हत्या करने की साजिश का पर्दाफाश हुआ।
पुलिस की जांच और मॉक ड्रिल
पुलिस ने घटना स्थल पर जाकर एफएसएल टीम की मदद से जांच की। मॉक ड्रिल के दौरान देवी सिंह ने हत्या की पूरी योजना का खुलासा किया। पहले तकिया से सांस रोककर कैलाश को बेहोश किया गया और फिर करंट लगाकर हत्या की गई।
अदालत का फैसला
आठ साल के लम्बे ट्रायल और 41 गवाहों की सुनवाई के बाद, कोर्ट ने देवी सिंह को उम्रकैद की सजा सुनाई। इस फैसले ने समाज को एक महत्वपूर्ण संदेश दिया कि दहेज़ के लालच में की गई ऐसी हरकतें किसी भी हाल में बर्दाश्त नहीं की जाएंगी।
समाज को संदेश
दहेज़ प्रथा आज भी समाज की एक कुरीति है जो कई घरों को बर्बाद कर देती है। इस फैसले से उम्मीद की जाती है कि लोग इस प्रथा से सबक लेंगे और इसे समाप्त करने की ओर कदम बढ़ाएंगे।
निष्कर्ष
यह घटना एक दर्दनाक सत्य है, जो समाज को जागरूक करने का कार्य करती है। दहेज़ की लालसा से की गई इस तरह की घटनाएं कभी किसी का सुख नहीं ला सकतीं, बल्कि जीवन को विनाश की ओर ही ले जाती हैं।