खाटू श्यामजी, सीकर: खाटू श्यामजी के पावन धाम में हर साल की तरह इस वर्ष भी सूरजगढ़ का प्राचीन निशान पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ शिखर पर चढ़ाया गया। यह 377वीं निशान यात्रा थी, जिसे देखने और इसमें भाग लेने के लिए हजारों की संख्या में भक्त खाटू नगरी में एकत्रित हुए।

377वीं सूरजगढ़ निशान यात्रा का आयोजन
सूरजगढ़ निशान यात्रा द्वादशी के दिन निकाली जाती है, और यह परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। इस बार भी भक्तों ने पूरे जोश और उल्लास के साथ यात्रा में भाग लिया। सुबह से ही निशान की विधिवत पूजा-अर्चना की गई, जिसके बाद भक्तों ने हाथ में मोर छड़ी लेकर जयकारे लगाते हुए यात्रा शुरू की।
भक्तों का उमड़ा सैलाब
खाटू नगरी की गलियां श्रद्धालुओं से भर गईं। भक्त बाबा श्याम के भजनों पर नाचते-गाते हुए मंदिर की ओर बढ़ रहे थे। चारों ओर “जय श्री श्याम” और “खाटू नरेश की जय” के जयकारों की गूंज थी। भक्तगण पूरे श्रद्धा भाव से निशान लेकर आगे बढ़ते गए और शिखर पर चढ़ाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया।
निशान चढ़ाने की प्रक्रिया
377वें सूरजगढ़ निशान को खाटू श्याम मंदिर के शिखर पर पूरे विधि-विधान के साथ चढ़ाया गया। निशान चढ़ाने के इस पावन अवसर पर भक्तों का उत्साह देखने लायक था। मंदिर प्रांगण और आसपास का क्षेत्र भक्ति भाव से सराबोर था।
मेला और धार्मिक आयोजन
निशान यात्रा के साथ ही खाटू श्यामजी के मंदिर में भव्य मेले का आयोजन भी हुआ। श्रद्धालुओं ने बाबा श्याम के दर्शन किए और प्रसाद ग्रहण किया। यह आयोजन श्रद्धालुओं के लिए अपार आनंद और आध्यात्मिक अनुभव लेकर आया।
सुरक्षा और प्रशासनिक व्यवस्था
श्रद्धालुओं की भीड़ को नियंत्रित करने के लिए प्रशासन द्वारा विशेष व्यवस्था की गई थी। पुलिस बल और स्वयंसेवकों ने पूरी व्यवस्था को सुचारू रूप से संचालित किया, जिससे भक्तों को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
श्रद्धालुओं की भावनाएं
खाटू नगरी में आए भक्तों ने अपनी श्रद्धा व्यक्त करते हुए कहा कि हर साल इस आयोजन में भाग लेना एक दिव्य अनुभव होता है। एक भक्त ने कहा, “मैं हर साल निशान यात्रा में शामिल होता हूं, और इस बार का अनुभव भी अद्भुत रहा। बाबा श्याम की कृपा हम सभी पर बनी रहे।”
निष्कर्ष
377वीं सूरजगढ़ निशान यात्रा भक्तों के लिए भक्ति, आनंद और आध्यात्मिकता से परिपूर्ण रही। खाटू श्यामजी की इस पवित्र धरा पर निशान यात्रा की परंपरा को निभाते हुए श्रद्धालु भाव-विभोर हो गए। इस आयोजन ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि बाबा श्याम की भक्ति के प्रति श्रद्धालुओं की आस्था अटूट है।