झलको राजस्थान: राजस्थान विधानसभा में इस बार सत्र के दौरान विपक्ष और सत्ता पक्ष के बीच तनातनी बढ़ गई है। कांग्रेस पार्टी के छह विधायकों के निलंबन के बाद सदन में हंगामे की स्थिति बनी हुई है। वहीं, विपक्ष का आरोप है कि सत्ता पक्ष अपनी जिम्मेदारियों से बचने की कोशिश कर रहा है। भाजपा विधायक नरेंद्र बुड़ानिया ने इस पूरे विवाद पर खुलकर अपनी राय रखी और कहा कि “सरकार अपने गलत फैसलों को छिपाने के लिए विपक्ष को दबाने का प्रयास कर रही है।”

क्या है पूरा मामला?
राजस्थान विधानसभा में हाल ही में भाजपा विधायकों ने इंदिरा गांधी पर दिए गए एक बयान पर आपत्ति जताई थी। विपक्ष का कहना है कि सरकार इस मुद्दे पर सफाई देने से बच रही है और सदन में बहस को रोकने की कोशिश कर रही है।
विपक्ष ने आरोप लगाया कि बजट सत्र के दौरान सरकार विपक्ष को सवाल पूछने का मौका नहीं दे रही है, जिससे लोकतंत्र की मर्यादा भंग हो रही है। कांग्रेस विधायकों को निलंबित किए जाने पर भी भाजपा ने सवाल खड़े किए और इसे एकतरफा कार्रवाई करार दिया।
नरेंद्र बुड़ानिया का बयान
भाजपा नेता नरेंद्र बुड़ानिया ने कहा कि “सत्ता पक्ष को अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के लिए तैयार रहना चाहिए। अगर कोई गलती हुई है, तो उन्हें खेद प्रकट करना चाहिए। लेकिन इसके बजाय, सरकार विपक्ष पर ही दोष मढ़ने की कोशिश कर रही है।”
उन्होंने आगे कहा कि “यह बहुत छोटी बात थी, जिसे बातचीत से हल किया जा सकता था। लेकिन सत्ता पक्ष ने इसे बड़ा बना दिया और विपक्ष को निलंबित कर दिया, जो कि पूरी तरह से लोकतंत्र विरोधी कदम है।”
विपक्ष के बिना चल रहा विधानसभा सत्र
एक और चौंकाने वाली बात यह है कि राजस्थान विधानसभा में बिना विपक्ष के ही कार्यवाही चल रही है। भाजपा नेताओं का कहना है कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ, जब विपक्ष को नजरअंदाज कर सत्र जारी रखा गया हो।
राज्य के पूर्व मंत्री वासुदेव देवनानी ने कहा कि “यह लोकतंत्र का मजाक है। बजट सत्र जनता की भलाई के लिए होता है, लेकिन बिना विपक्ष की सुनवाई के इसे पारित किया जा रहा है, जो पूरी तरह से गलत है।”
बीजेपी की मांग: बड़ी कार्रवाई की जरूरत
भाजपा नेताओं ने यह भी कहा कि “इस पूरे घटनाक्रम की उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए और सरकार को जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए।”
राजेंद्र राठौड़ और राहुल कसवा की दोस्ताना बातचीत की एक तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल हुई, जिस पर भी चर्चा हुई। हालांकि, भाजपा नेताओं ने साफ किया कि “राजनीति में मतभेद हो सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत रिश्ते अलग होते हैं।”

निष्कर्ष
राजस्थान विधानसभा में सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तकरार बढ़ती जा रही है। विपक्ष सरकार पर जिम्मेदारियों से भागने का आरोप लगा रहा है, तो वहीं सत्ता पक्ष इसे विपक्ष की राजनीति बता रहा है। इस विवाद का हल संवाद और पारदर्शिता से ही निकल सकता है।